🍂मियाँ रुसवाई दौलत के तआवुन से नहीं जाती
यह कालिख उम्र भर रहती है साबुन से नहीं जाती
🍂शकर फ़िरकापरस्ती की तरह रहती है नस्लों तक
ये बीमारी करेले और जामुन से नहीं जाती
🍂वो सन्दल के बने कमरे में भी रहने लगा लेकिन
महक मेरे लहू की उसके नाख़ुन से नहीं जाती
🍂इधर भी सारे अपने हैं उधर भी सारे अपने थे
ख़बर भी जीत की भिजवाई अर्जुन से नहीं जाती
🍂मुहब्बत की कहानी मुख़्तसर होती तो है लेकिन
कही मुझसे नहीं जाती सुनी उनसे नहीं जाती
🌼मुनव्वर राना
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